Sharab Ki Botal
शराब की बोतल
कितनी प्यारी है ये शराब की बोतल
डोल जाते है इसे देख के कितने मन
जब कहीं इसको इक बार खोल देते है
फिर वहां से जाने को नही करता मन
ये मेरे गम -ख़ुशी में शरीक होती है
अजीब सा बन गया है इससे अपनापन
जाम के बाद जाम जब में उठाता हूँ
साथ -ही -साथ में घटते है मेरे गम
साथ देती है मेरा यह दर्द मिटने में
जी में आता है रखूं पास इसे हरदम
MILAP SINGH
poem by Milap Singh
Added by Poetry Lover
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