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घर को जलाने के बजाय किसी घर को बचाकर देखो।
कितना सकून मिलता है, यह भी आजमाकर देखो।
दर्द का एहसास तभी होगा जब जख्मी होगे,
मेरी मत मानो, चोट कलेजे पे खाकर देखो।।
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poem by Sushil Kumar
Added by Poetry Lover
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