Dard Ik Ehsas ???? ?? ??????
दर्द इक एहसास ही तो है
राहत की आस ही तो है
हम नहीं इससे मुतािसर
हमको यह रास ही तो है
िजगर में होती है हलचल
यह इक प्यास ही तो है
ये है गर्मी का इक सबब
ये भी इक सांस ही तो है
याद आता है खूदा सबको
लम्हा यह खास ही तो है
poem by Milap Singh
Added by Poetry Lover
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